सियासत के तेवर
चेहरे बदलते गए, पर सियासत के तेवर नहीं बदले। सियासी वक्त की अप्रत्याशित करवट और उसे देखकर होने वाली झुंझलाहट के बीच शबीना अदीब की ग़ज़ल सुन रहा था। मौजूदा हालत पर बड़ा मौजूं लगा और अच्छा भी। आप भी सुनिए …..
ना दोस्तों के करम रहेंगे, ना दुश्मनों के सितम रहेंगे,
फ़ना के नजदीक है ये दुनिया, ना तुम रहोगे ना हम रहेंगे
अभी तुम्हारा है बोला-बाला ,अभी तो सब जान देंगे तुम पर
मुसिबतों में पुकार लेना, तुम्हारे नजदीक हम रहेंगे
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