ईमानवालों
खुश तो बहुत होगा तू.…खून से नहाने का एक अलग लुत्फ़ होता है ना। और सुना है तुझे आजकल रास नहीं आती है पानी की बूंदे। अच्छा छोड़ ये सब बकवास की बातें, एक शेर छोड़े जा रहा हूं तुम्हारे लिए। अरे बाबा, मैंने नहीं लिखा है। मुझ जैसे नामुराद की इतनी औकात कहां। तेरे “ईमानवालों ” ने लिखा है जो लगे हुए हैं काफिर, मुशरिक, मुनकिर वगैरह वगैरह लोगों के सर काटने में “विथ योर सो-कॉल्ड परमिशन “….
कह दूँगा साफ़ हश्र में पूछेगा गर ख़ुदा
लाखों गुनह किए तिरी रहमत के ज़ोर पर…
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